नई दिल्ली: दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद के तत्वाधान में जमीअत के आईटीओ स्थित मुख्यालय में नाजरा कुरान (कुरान पढ़ने) और धार्मिक शिक्षा का पांच वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करने वाले दिल्ली प्रदेश के 35 मकतबों (धार्मिक पाठशालाओं) में शिक्षारत 570 छात्रों और छात्राओं की परीक्षा आयोजित की गई।
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के अभिभावक, शिक्षक तथा दीनी तालीमी बोर्ड के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस अवसर पर समारोह को संबोधित हुए जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि पैगम्बरों की विरासत का दायित्व तभी पूरा होगा, जब हम दीनी तालीम (धार्मिक शिक्षा) के प्रचार-प्रसार को अपना मिशन बना लें। मौलाना मदनी ने कहा कि आज युवा पीढ़ी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम उनकी शिक्षा-दीक्षा पर विशेष ध्यान दें और उन्हें धार्मिक और सांसारिक शिक्षा से सुशोभित करें। मौलाना मदनी ने जमीअत उलमा-ए-हिंद के अंतर्गत जारी धार्मिक शिक्षा की गतिविधियों के विस्तार पर जोर दिया और कहा कि यह बात याद रखना चाहिए कि संस्था स्वयं उद्देश्य नहीं है, बल्कि शैक्षिक मिशन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मकतबों (पाठशालाओं) की स्थापना का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए अगर किसी अन्य संस्था की सहायता से हमारा बोझ कम हो रहा है तो हमें उनका शुभचिंतक और समर्थक होना चाहिए।
मौलाना मदनी ने माता-पिता, अभिभावकों, शिक्षकों और मस्जिद के जिम्मेदार लोगों से जोर देकर कहा कि बच्चों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मस्जिदें केवल नमाज पढ़ने तक ही सीमित न रहें, बल्कि मस्जिद की प्रबंधन समिति और इमामों की जिम्मेदारी है कि वह धार्मिक शिक्षाओं को बढ़ावा दें। मौलाना मदनी ने छात्रों को दो महत्वपूर्ण सलाह दी कि वह सच बोलने की आदत डालें और ज्ञान का अनुसरण करने का इरादा करें। हजरत मौलाना अशरफ अली थानवी ने कहा कि ज्ञान का प्रकाश तभी प्राप्त होता है, जब दिल में सीखे हुए ज्ञान का अनुसरण करने की चाहत है। मौलाना मदनी ने शिक्षकों से कहा कि छात्रों के साथ दयालुता से पेश आएं और प्यार करें और हमेशा उनके सुधार के लिए प्रयासरत रहें।
मुख्य परीक्षा के आयोजन के अवसर पर चार सूत्री संदेश भी जारी किया गया कि (1) मुख्य परीक्षा का उद्देश्य धार्मिक पाठशालाओं में कुरान की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार करना और उम्मत के शत-प्रतिशत बच्चों को धार्मिक मकतबों से जोड़ना है। (2) दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा-ए-हिंद से संबंधित देश के सभी प्रदेशों और जिलों के पदाधिकारियों से अनुरोध है कि वह धार्मिक मकतबों को व्यवस्थित, मानक और अनुकरणीय बनाने की हर संभव कोशिश करें और धार्मिक मकतबों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का वर्ष के अन्त में शहरी या जिला स्तर पर मुख्य परीक्षा का आयोजन करें, इससे संबंधित प्रक्रिया मुख्यालय से प्राप्त करें। (3) हर मकतब में जमीअत यूथ क्लब की स्थापना की जाए ताकि छात्र बचपन से ही आत्मबोध, समाज सेवा और सृष्टि के रचनाकार के प्रति आज्ञाकारिता की भावना से ओतप्रोत हों (4) सभी इस्लामी मदरसों की प्रबंधकों एवं जिम्मेदार समिति से अनुरोध है कि समय एवं परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को अधर्म, नशाखोरी एवं धर्म विद्वेष से बचाने के लिए एक धार्मिक विद्वान की नियुक्ति करें जो जगह-जगह धार्मिक मकतब स्थापित कर सके।
परीक्षा के बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के कर-कमलों से सभी छात्रों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। उन्होंने सभी बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों, समर्थकों और मस्जदों के जिम्मेदारों को परीक्षा की सफलता पर बधाई दी।