मुंबई:अभिनेता सुमित जायसवाल के लिए ‘राम भवन’ सिर्फ एक और भूमिका नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और व्यक्तिगत यात्रा है—जिसमें निर्माता राहुल कुमार तेवरी के साथ उनका गहरा जुड़ाव झलकता है।
सुमित कहते हैं, “अगर राहुल तेवरी सर ना होते, तो मैं आज जहां हूं, वहां शायद नहीं होता। उन्होंने मुझे सिर्फ एक भूमिका नहीं दी, बल्कि एक नई पहचान दी। वो हमेशा मेरी कहानी का अहम हिस्सा रहेंगे। मैं उनके प्रति सिर्फ आभार ही नहीं, बल्कि गहरा सम्मान और आदर भी रखता हूं। वो एक ऐसे मेंटर हैं जो नए टैलेंट को बिना झिझक प्रोत्साहित करते हैं। उनके साथ दूसरा शो करना सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि एक सौभाग्य और घर वापसी जैसा अनुभव है। राहुल सर एक सच्चे विजनरी हैं। उनकी कहानी कहने की लगन और सार्थक कंटेंट बनाने की प्रतिबद्धता ही उन्हें एक प्रेरणादायक शख्सियत बनाती है। ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं जो दिल और विज़न दोनों से नेतृत्व करते हैं।
‘राम भवन’ को एक यथार्थपरक और भावनात्मक शो बताते हुए वो आगे कहते हैं, “ये शो सिर्फ ड्रामा नहीं है, यह रिश्तों, चुनावों और पारिवारिक बंधनों की बात करता है। यही बात इसे बाकी से अलग बनाती है।
एक अभिनेता के तौर पर वो इस अनुभव को रचनात्मक रूप से बहुत संतोषजनक मानते हैं: “ऐसी दुनिया का हिस्सा बनना जो इतनी ऑर्गेनिक महसूस होती है, बहुत ताज़गीभरा है। ‘राम भवन’ सिर्फ मनोरंजन नहीं करता — यह जुड़ाव बनाता है।
सुमित ने शो के पूरे क्रू के प्रति भी आभार जताया: “कुछ प्रोजेक्ट्स दिल के करीब इसलिए होते हैं क्योंकि उनके पीछे जो लोग होते हैं, वो खास होते हैं। मैं रोलिंग टेल्स की पूरी टीम और खासकर अब्दुर रहमान सर का शुक्रगुज़ार हूं, जिन्होंने हमेशा मुझ पर भरोसा किया।
सेट पर सह-कलाकारों के साथ उनकी केमिस्ट्री भी कमाल की है: “यहां काम करना ऐसा लगता है जैसे दूसरी फैमिली के साथ समय बिता रहा हूं। ऑफ-स्क्रीन जो बॉन्ड है, वो ऑन-स्क्रीन भी साफ नज़र आता है।
एक मज़ेदार किस्सा याद करते हुए सुमित बताते हैं: “एक इंटेंस हॉस्पिटल सीन के दौरान नीलिमा सिंह जी, जो मेरी मां की भूमिका निभा रही हैं, ने अचानक सीन में थोड़ा ह्यूमर जोड़ दिया। मुझे अपनी हंसी रोकनी पड़ी जब तक डायरेक्टर ने ‘कट’ नहीं बोला — और उसके बाद पूरी टीम हंसते-हंसते लोटपोट हो गई! आज भी उस सीन की बीटीएस मेरे पास है।
आगे की कहानी को लेकर सुमित ने इमोशनल ट्विस्ट्स का भी इशारा किया: “सनी का सफर प्यार और परिवार के बीच एक शांत शक्ति के साथ संतुलन बनाए रखने का है। आगे कुछ गहरे भावनात्मक मोड़ और सरप्राइज आने वाले हैं।
अपने सच्चे और दिल से जुड़े कहानी कहने के अंदाज़ के साथ ‘राम भवन’ आज भी हर पीढ़ी के दर्शकों से गहरा जुड़ाव बना रहा है।