मुंबई :अदालत ने कहा कि ऐसी याचिकाएं समाज के सम्मानित सदस्यों की छवि को खराब करती हैं। अकसर ऐसी याचिकाएं गलत इरादे से दायर की जाती हैं। ठाकरे के खिलाफ लगाए गए आरोपों का मूल रूप से कोई आधार नहीं है।
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ निरर्थक याचिका दायर करने पर नांदेड़ के एक व्यक्ति पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उसे यह राशि ‘डिमांड ड्राफ्ट’ के रूप में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से सौंपने का निर्देश है। दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट होने का दावा करने वाले और बंजारा समुदाय से संबंध रखने वाले मोहन चव्हाण ने दलील दी थी कि एक समारोह के दौरान उसके महंत की ओर से दी गई विभूति को न लगाकर ठाकरे ने उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
याचिका पर न्यायमूर्ति एस.जी. मेहरे की एकल पीठ ने आदेश में कहा कि कानून की थोड़ी सी जानकारी रखने वाला व्यक्ति भी याचिका को पहली बार देखकर ही बता देगा कि यह ‘कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग या सेलिब्रिटी बनने के लिए न्यायिक प्रणाली का इस्तेमाल करने’ के अलावा और कुछ नहीं है।