Breaking
Wed. Apr 23rd, 2025
Spread the love

नई दिल्ली:मौलाना मदनी ने सवाल उठाया  कि यदि संविधान की एक धारा के तहत अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से अलग रखा जा सकता है तो हमें संविधान की धारा 25 और 26 के तहत धार्मिक आज़ादी क्यों नहीं दी जा सकती? जिसमें नागरिकों के मौलिक अधिकारों को मान्यता देकर धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, यदि यह समान नागरिक संहिता है तो फिर नागरिकों के बीच यह भेदभाव क्यों? उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता लागू किए जाने को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदीने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम किसी ऐसे कानून को स्वीकार नहीं करेंगे जो शरीयत के खिलाफ हो, क्योंकि मुसलमान हर चीज से समझौता कर सकता है लेकिन शरीयत में छेड़छाड़ से समझौता नहीं किया जा सकता है, देश संविधान से चल रहा है और यहां पहले से सारे कानून मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) पेश किया गया,  जिसमें अनुसूचित जनजातियों को संविधान के अनुच्छेद जो 366ए अध्याय 25ए उपधारा 342 के तहत नए कानून से छूट दी गई है और यह तर्क दिया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उन के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई है।

Print Friendly, PDF & Email

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *