मुंबई(शिब्ली रामपुरी) काफी समय से आध्यात्मिक तौर पर कार्य कर रहे पंडित मुस्तफा आरिफ को एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. सम्मानित किए जाने पर पंडित मुस्तफा आरिफ ने अपनी ओर से सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह इसी तरह से आपसी एकता और भाईचारे के लिए कार्य करते रहेंगे इसमें उनको सभी के सहयोग की जरूरत है.विश्व हिंदी अकादमी के तत्वावधान में पंडित मुस्तफा आरिफ सहित साहित्यकार, कथाकार, लेखक और फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियो का सुप्रसिद्ध कथाकार असगर वजाहत और फिल्म लेखक रूमी जाफरी की विशेष उपस्थिति में विश्व हिंदी अकादमी सम्मान 2024 से मुंबई में सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन विश्व हिंदी अकादमी के अध्यक्ष केशव राय ने किया। स्वागत भाषण प्रख्यात लेखक नवभारत टाइम्स दिल्ली के पूर्व संपादक सुरेश शर्मा ने किया।
सम्मानित हस्तियों में हिंदी के प्रचार प्रसार मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सर्वश्री तेजेन्द्र शर्मा लंदन, आनंद कुमार शर्मा प्रयागराज, विवेक अग्रवाल, सुनिल तिवारी आदि का विश्व हिंदी अकादमी सम्मान 2024 से मुंबई मे फनकार स्टुडियो मे एक समारोह मे सम्मान हुआ।
वक्ताओ ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में हिंदी को विश्व व्यापी बनाने मे राजनीतिक ईच्छा शक्ति का प्रमुख अभाव बताया। वैदिक परंपरा का आधार छूटने से ऋषि मुनियो की शिक्षा व उपदेश शैली का लुप्त होना भी इसके मुख्य कारणो में से है।
हिंदी के प्रचार-प्रसार में जन साधारण की भूमिका और क्षेत्रवाद की अवधारणा भी बाधक है। हम विश्व की हिंदी और हिंदी का विश्व को लेकर बाते बड़ी बड़ी करते है, परंतु व्यवहार से इसका कोई लेना देना नही है।
यही वजह है कि यहां बैठा हर व्यक्ति अपने बच्चो को अंग्रेजी माध्यम के स्कुल में पढ़ाना पसंद करता है। क्योंकि न तो हम हिंदी को उच्च तकनीकी ज्ञान से जोड़ पाए और न रोजगार की भाषा बना पाए। फिल्मी दुनिया एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो हिदी के प्रचार प्रसार का सशक्त माध्यम है, लेकिन विडंबना ये है कि फिल्मे तो हिंदी में बनती है, लेकिन कलाकार डायलॉग हिंदी मे देवनागरी कि जगह अंग्रेजी स्क्रिप्ट से याद करते है।
अमिताभ बच्चन जैसे इक्के दुक्के अभिनेता है जो देवनागरी लिपि को ही प्राथमिकता देते है। धर्मेंद्र और प्रेम चोपड़ा ऊर्दू में स्क्रिप्ट से काम चलाते है। जब अमिताभ बच्चन जैसे महानायक का काम हिंदी मे अच्छी तरह से चल रहा है, तो हिंदी फिल्मो से जीविकोपार्जन करने वाले अन्य कलाकारो का क्युं नहीं। इस विषय पर गंभीरता से चिंतन मनन करना होगा।
कुल मिलाकर वक्ता इस बात के लिए एक मत थे, हिंदी को विश्व की हिंदी बनाने के लिए बच्चे की बोलचाल से लेकर उच्च तकनीकि विशेषज्ञ तक की शिक्षा हिंदी मे हो, इस दिशा मे सघन और समर्पण के साथ काम करने की ज़रूरत है। इसके लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति को प्रबल करने की जरूरत है। जब तक बड़े नेताओ के बच्चे अंग्रेजी मे विदेश में पढ़ेंगे, तब तक हिंदी विश्व पर उपदेश निरर्थक है।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका प्रियंका माथुर ने अपने गायन के माध्यम से हिंदी के प्रसार को प्रोत्साहित किया। समारोह को सफल बनाने में इरफान शामी और मनोज रोमल का विशेष सहयोग रहा।