मुंबई (दानिश खान )अभिनेता और लेखक पलाश दत्ता ने फिल्ममेकर अनुराग कश्यप के उस हालिया बयान का खुलकर समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बॉलीवुड अब ‘टॉक्सिक’ हो गया है।खुलकर अपनी राय रखते हुए पलाश ने बताया कि कैसे बढ़ती व्यावसायिकता और कठोर अपेक्षाएं रचनात्मकता को बाधित कर रही हैं और इंडस्ट्री के माहौल को चुनौतीपूर्ण बना रही हैं। पलाश मानते हैं कि बॉलीवुड भले ही रचनात्मकता का केंद्र हो, लेकिन यहां सिस्टम और अनुशासन की कमी है, जो इसकी कला की क्षमता को कमजोर कर रही है।इस बीच पलाश दत्ता ने कान्स 2025 में अपने डेब्यू को लेकर भी उत्साह जताया। उन्होंने कहा, “यह मेरा पहला कान्स अनुभव था और यह सचमुच अविस्मरणीय रहा। मुझे अपनी दो शॉर्ट फिल्मों को वहां ले जाने का अवसर मिला। मैंने कभी सोचा नहीं था कि दोनों फिल्में वहां दिखाई जाएंगी।”अपनी फिल्मों के बारे में उन्होंने बताया, “पहली फिल्म का नाम ‘डांस ऑफ जॉय’ है। यह मेरी डायरेक्टोरियल डेब्यू है, जिसमें मैंने लेखन, निर्देशन और अभिनय तीनों किया है। हमने इसका पोस्टर भारत पैवेलियन में लॉन्च किया। दूसरी फिल्म ‘सिंह एंड सिन्हा’ है, जिसमें मैंने अभिनय किया है और इसे मोहन दास ने निर्देशित किया है। दोनों फिल्मों में सामाजिक संदेश हैं।”पलाश आगे कहते हैं, “अनुराग कश्यप बहुत हद तक सही हैं। बॉलीवुड में रचनात्मकता तो है, लेकिन सिस्टम और अनुशासन की भारी कमी है। आजकल निर्माता फिल्म बनने से पहले ही उसमें गारंटीड मुनाफा चाहते हैं। लेकिन रचनात्मकता ऐसा नहीं करती। पहले फिल्म बनती है, एडिट होती है, फिर उसके रिटर्न की बात होनी चाहिए। अब तो रचनात्मकता को भी कॉर्पोरेट की तरह देखा जा रहा है, जिससे सब कुछ दम घुटने जैसा हो गया है।”गौरतलब है कि मार्च में अनुराग कश्यप ने बॉलीवुड से दूरी बनाने का ऐलान किया था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे अब फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहना चाहते हैं क्योंकि यहां का माहौल दिन-ब-दिन टॉक्सिक होता जा रहा है। हर कोई सिर्फ बॉक्स ऑफिस के अवास्तविक आंकड़ों के पीछे भाग रहा है—500 या 800 करोड़ के अगले ब्लॉकबस्टर की तलाश में। दुर्भाग्य से, वह रचनात्मक आत्मा जो कभी बॉलीवुड की पहचान थी, अब खोती जा रही है।