दिल्ली :मौलाना मदनी ने इस याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि देश के संविधान, लोकतंत्र और कानून के राज को बनाए रखने के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस उम्मीद के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया है कि हमें न्याय मिलेगा। क्योंकि अदालत ही हमारे लिए अंतिम सहारा है। उन्होंने कहा कि हम शरीयत के खिलाफ किसी भी कानून को स्वीकार नहीं करते हैं, मुसलमान हर चीज से समझौता कर सकता है लेकिन अपनी शरीयत और धर्म से कोई समझौता नहीं कर सकता। यह मुसलमानों के अस्तित्व का सवाल नहीं बल्कि उनके अधिकारों का सवाल है। उत्तराखंड में जनवरी में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू कर दिया गया है। इस कानून के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने आज नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की और उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश के सामने इसका उल्लेख किया। कोर्ट इस मामले पर इसी सप्ताह सुनवाई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से इस महत्वपूर्ण मामले की पैरवी कोर्ट में करेंगे।मौलाना मदनी ने कहा कि समान नागरिक संहिता कानून लाकर मौजूदा सरकार मुसलमानों को देश के संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को छीनना चाहती है। क्यूंकि हमारी आस्था के मुताबिक जो हमारे धार्मिक कानून है वो किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि कुरआन हदीस से साबित है। जो लोग किसी धार्मिक पर्सनल लॉ पर अमल नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए देश में पहले से ही उन लोगों के लिए वैकल्पिक नागरिक संहिता मौजूद है तो फिर समान नागरिक संहिता की क्या जरूरत है?