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तीन हिंदू परिवारों समेत कई लोगों को जमीयत उलेमा हिन्द ने आर्थिक मदद करते हुए सौंपे एक -एक लाख के चेक

(हिन्द समर्थन ब्यूरो)

दिल्ली:देश के मुसलमानो की सबसे बड़ी संस्थाओ में शुमार जमीयत उलेमा हिंद ने कहा कि दंगे होते नहीं हैं, बल्कि कराए जाते हैं और इसके पीछे उन ताक़तों का हाथ होता है, जो नफ़रत के आधार पर हिंदुओं और मुसलमानों को एक दूसरे से अलग कर देना चाहती हैं। आज़ादी के बाद से देश भर में हज़ारों की संख्या में दंगे हो चुके हैं, मगर निराशाजनक बात यह है कि किसी एक दंगे में भी असली दोषी को सज़ा दिलाने की कोशिश नहीं की गई।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने मेवात में ऐसे 22  परिवारों को घर बनाने के लिए जमीनें और 1-1 लाख के चेक दिए, जिनके घरों पर मेवात में हुई हिंसा के बाद बुलडोजर चला दिए गए थे। इन परिवारों में 19 मुस्लिम और 3 हिंदू परिवार शामिल हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने फिरोजपुर झिरका, मेवात में हुए दंगा पीड़ितों के लिए जमीन और एक-एक लाख रुपये दिए।कार्यक्रम में मौलाना मदनी से एक लाख रुपये की राशि का चेक लेने के बाद रामपाल (42) ने एक न्यूज़ एजेंसी से कहा कि वह अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ दूध की घाटी में एक पहाड़ी की तलहटी पर रहते थे, लेकिन जुलाई में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने उनका घर तोड़ दिया।

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले रामपाल ने कहा कि उनका कोई कसूर नहीं था, फिर भी प्रशासन ने उन्हें बेघर कर दिया और उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

वहीं, 28 वर्षीय जोगिंदर ने कहा कि कुछ महीने पहले हुई हिंसा के बाद उनका घर प्रशासन ने बिना नोटिस दिए तोड़ दिया था और आज उन्हें एक लाख रुपये मिले हैं।

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