मुंबई(शिब्ली रामपुरी) इसमें कोई दो राय नहीं है कि मुनव्वर राणा ने शायरी को एक ऐसे मक़ाम पर भी ला दिया कि जहां से वह सिर्फ महबूबा की तारीफ करने वाली नहीं रही बल्कि उसका रिश्ता मां से भी जुड़ गया और यह रिश्ता इतना अटूट जुड़ा की जैसे कोई बच्चा अपनी मां से लिपट जाए.
मुनव्वर राणा जीवन के अंतिम दिनों में वैसे तो शायरी से ज्यादा अपने कई बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे लेकिन जहां तक शायरी की बात है तो उनकी लाजवाब शायरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और उन्होंने अपनी शायरी में जितनी मां की अज़मत उसकी प्रशंसा की है वह दूसरे शायरों के कलाम में बेहद ही कम देखने को मिली.
मुनव्वर राणा ने कभी लिखा था कि
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करते मेरे ख्वाब में आ जाती है
मां की बेटे के प्रति महानता को मुनव्वर राणा के शब्दों में आप कुछ यूं समझ सकते हैं.
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
एक जगह पर मुनव्वर राणा ने ये भी लिखा था कि कि
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई
ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ मुनव्वर राणा ने अपनी शायरी के माध्यम से मां की प्रशंसा ही की उसकी अज़मत. मां से मोहब्बत को ही बयां किया बहुत जगह मुनव्वर राणा ने मौजूदा सियासत पर ऐसे ऐसे तंज़ भी कसे कि सुनने वाला हैरान रह गया.
गरीबी और टूटे अरमानों और बेबसी पर मुनव्वर राणा का यह शेर हमेशा याद किया जाएगा जिसमें उन्होंने कहा था कि
मुद्दत से सजी बैठी हैं तमन्नाए दिल में
इस घर में बड़े लोगों का अब रिश्ता नहीं आता
मुनव्वर राणा चले गए लेकिन उनके जाने से साहित्य जगत को जो नुकसान हुआ है निकट भविष्य में उसकी भरपाई बेहद कठिन है. उनके निधन पर मशहूर शायरा शबीना अदीब ने कहा कि सरपरस्त चला गया. प्रसिद्ध शायर डॉक्टर नवाज़ देवबंदी ने भी उनके निधन पर गहरा अफ़सोस जताया.
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर जमशेद उस्मानी ने कहा कि शायरी में जो मक़ाम मुनव्वर राणा साहब को हासिल हुआ वह बेहद कम शायरों को होता है क्योंकि मुनव्वर राणा की शायरी सबसे हटकर रही.
वरिष्ठ पत्रकार शिबली रामपुरी ने कहा कि मुनव्वर राणा ने तमाम उम्र जिस तरह से साहित्य जगत की सेवा की उर्दू अदब की सेवा की उसके लिए वह हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेंगे उनकी शायरी को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
मुंबई में समाजसेवी रईस खान ने कहा कि मुनव्वर राणा अपनी शायरी से अपने बेहतरीन अंदाज़ की वजह से हमेशा याद किए जाएंगे. महाराष्ट्र में भी साहित्य जगत से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है.समाजवादी पार्टी के संभल से सांसद शफ़ीक़ुररहमान बर्क़ ने भी मुनव्वर राणा के इंतकाल पर गहरे शोक का इज़हार किया.कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और शायर इमरान प्रतापगढ़ी और पूर्व विधायक इमरान मसूद ने मुनव्वर राणा को खिराज ए अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी.
और आख़री में मुनव्वर राणा को उन्हीं के शब्दों में खिराजे हकीकत पेश करता हूं
मौला ये तमन्ना है जब जान से जाऊं
जिस शान से आया था उस शान से जाऊं