मुंबई:जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस फिरदोश पुनिवाला की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। याचिका के मुताबिक, बुजुर्ग ने पुणे के मकान से बेटे और बहू को बाहर निकालने की मांग को लेकर एसडीओ के पास अर्जी की थी। एसडीओ के आदेश से बुजुर्ग को राहत नहीं मिली। उन्होंने अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की। बुजुर्ग के अनुसार, वे 1966 से पुणे स्थित अपने मकान में रह रहे हैं। बेटे और बहू का परिवार उनके साथ अच्छे से पेश नहीं आता। गालीगलौज करते हैं। बेटे के पास दो घर हैं। उसे किराए पर देकर मेरे मकान में रह रहा है।बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि 91 साल की उम्र में किसी बुजुर्ग को अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए देखना पीड़ादायक है। इसलिए सभी सीनियर सिटिजन ट्रिब्यूनल से अपेक्षित है कि वे वरिष्ठ नागरिकों के मामलों के प्रति संवेदनशीलता बरतें और सुनवाई में तेजी दिखाएं। किसी 91 साल के व्यक्ति से यह शिकायत करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है कि उसके केस की सुनवाई और निपटारे में देरी हो रही है। कोर्ट ने राज्य के संबंधित विभाग को इस आदेश की प्रति प्रदेश के सभी सीनियर सिटिजन ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया है।